Shikshak Bharti Bad News 2025 3 अप्रैल, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 25,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती को रद्द करने के कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। यह फैसला ममता बनर्जी सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस भर्ती प्रक्रिया को "दूषित" और "धोखाधड़ी से भरी" करार देते हुए कहा कि चयन प्रक्रिया की विश्वसनीयता पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। यह मामला 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) द्वारा की गई नियुक्तियों से जुड़ा है, जिसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप लगे थे।
मामले की पृष्ठभूमि
Shikshak Bharti Bad News 2025 पश्चिम बंगाल में 2014 में शिक्षक भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था, और 2016 में यह प्रक्रिया शुरू हुई। हालांकि, कुछ उम्मीदवारों ने भर्ती में धांधली का आरोप लगाते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट का रुख किया। उनकी शिकायत थी कि कम अंक होने के बावजूद कई लोगों को नौकरी दी गई, जबकि योग्य उम्मीदवारों को बाहर रखा गया। करीब पांच साल तक चली सुनवाई के बाद, अप्रैल 2024 में कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस भर्ती को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने इसे "अवैध" ठहराते हुए नियुक्त कर्मचारियों को वेतन वापस करने का भी आदेश दिया था।
इसके खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, लेकिन 3 अप्रैल, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा कि इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है, क्योंकि यह पूरी तरह से भ्रष्टाचार से प्रभावित थी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया:
- भर्ती प्रक्रिया रद्द: 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियां तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गईं।
- वेतन वापसी पर राहत: हाई कोर्ट ने कर्मचारियों को वेतन वापस करने का आदेश दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसमें राहत दी और कहा कि अब तक मिला वेतन वापस करने की जरूरत नहीं है।
- नई भर्ती का निर्देश: राज्य सरकार को तीन महीने के भीतर नई और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया गया।
- दिव्यांग उम्मीदवारों को छूट: दिव्यांग कर्मचारियों को नई भर्ती में उम्र में छूट के साथ शामिल होने की अनुमति दी गई है। साथ ही, वे नई प्रक्रिया पूरी होने तक सेवा में बने रह सकते हैं।
- जांच जारी: कोर्ट ने सीबीआई को इस घोटाले की जांच जारी रखने का निर्देश दिया।
ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया
फैसले के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि सभी 25,000 कर्मचारी गलत नहीं थे। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने सवाल उठाया कि अगर सभी शिक्षकों की नौकरी चली गई, तो स्कूल कैसे चलेंगे। उन्होंने कहा, "11,610 शिक्षक कक्षा 9 और 10 को पढ़ा रहे थे, 5,596 कक्षा 11 और 12 को पढ़ाते थे। इनके बिना शिक्षा व्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा।" ममता ने यह भी आरोप लगाया कि यह फैसला राज्य की शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने की साजिश हो सकता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार तीन महीने में नई भर्ती प्रक्रिया पूरी करेगी।
प्रभाव और भविष्य
इस फैसले से करीब 25,000 परिवारों पर सीधा असर पड़ा है। कई शिक्षकों ने इसे अपने करियर के लिए बड़ा झटका बताया है। दूसरी ओर, विपक्षी दल बीजेपी, कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों ने इसे ममता सरकार की नाकामी करार दिया है। बीजेपी ने दावा किया कि यह भ्रष्टाचार का स्पष्ट सबूत है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब सभी की नजरें नई भर्ती प्रक्रिया पर टिकी हैं। सरकार के सामने चुनौती है कि वह तीन महीने में पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से यह प्रक्रिया पूरी करे, ताकि शिक्षा व्यवस्था प्रभावित न हो और योग्य उम्मीदवारों को मौका मिले।
निष्कर्ष
यह मामला न केवल पश्चिम बंगाल की राजनीति और शिक्षा व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता कितनी जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए एक मिसाल बन सकता है।
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