CTET 2025 Notification सीटेट जुलाई परीक्षा के नोटिफिकेशन को लेकर सीबीएसई के द्वारा लगभग तैयारी पूरी कर ली गई है सीबीएसई सीटेट जुलाई परीक्षा के नोटिफिकेशन 15 अप्रैल 2025 से पहले जारी करने जा रहा है अगर सीबीएसई की तरफ से वेबसाइट में किसी प्रकार की टेक्निकल समस्या नहीं हुई तो सीबीएसई के द्वारा सीटेट जुलाई 2025 परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन 15 अप्रैल से पहले जारी कर दिया जाएगा जिसको लेकर सीबीएसई की तरफ से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं छात्रों को सलाह दी जाती है कि सीटेट जुलाई परीक्षा की तैयारी छात्र प्रारंभ कर दें
कौन-कौन से राज्यों में सीटेट हुआ बाहर?
केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) भारत में शिक्षक बनने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा है, जिसे केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा आयोजित किया जाता है। यह परीक्षा मुख्य रूप से केंद्रीय विद्यालयों (केवीएस), नवोदय विद्यालयों (एनवीएस), और अन्य केंद्रीय स्कूलों में शिक्षक पदों के लिए पात्रता प्रदान करती है। हालांकि, समय के साथ कुछ राज्यों ने अपनी शिक्षक भर्ती प्रक्रियाओं में बदलाव किए हैं और सीटेट को अपनी राज्य-स्तरीय भर्ती के लिए अनिवार्य मान्यता से बाहर कर दिया है। इस लेख में हम उन राज्यों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे जहां सीटेट को प्राथमिकता से हटा दिया गया है या उसकी जगह राज्य-स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य किया गया है।
सीटेट और राज्य टीईटी का अंतर
सीटेट एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा है, जो केंद्र सरकार के स्कूलों में शिक्षक बनने की योग्यता प्रदान करती है। दूसरी ओर, राज्य टीईटी (टेट) राज्य सरकारों द्वारा आयोजित की जाती है और यह विशेष रूप से उस राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए मान्य होती है। भारत में शिक्षा एक समवर्ती विषय है, जिसके कारण राज्य सरकारें अपनी आवश्यकताओं और नीतियों के आधार पर स्वतंत्र रूप से शिक्षक पात्रता परीक्षाएं आयोजित कर सकती हैं। कई राज्यों ने अपनी स्थानीय भाषा, संस्कृति, और शैक्षिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सीटेट की बजाय अपनी टीईटी को प्राथमिकता दी है।
कौन-कौन से राज्यों में सीटेट हुआ बाहर?
कुछ राज्यों ने अपनी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में सीटेट को अनिवार्य मान्यता से बाहर कर दिया है और इसके स्थान पर राज्य टीईटी को लागू किया है। नीचे उन प्रमुख राज्यों की सूची और स्थिति दी गई है जहां सीटेट को प्राथमिकता से हटाया गया है:
- तमिलनाडु:
तमिलनाडु में शिक्षक भर्ती के लिए तमिलनाडु शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीएनटीईटी) को अनिवार्य कर दिया गया है। राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया कि स्थानीय स्कूलों में शिक्षकों को तमिल भाषा और राज्य के पाठ्यक्रम की गहरी समझ होनी चाहिए, जो टीएनटीईटी के माध्यम से सुनिश्चित की जाती है। इस कारण, तमिलनाडु में राज्य के सरकारी स्कूलों में भर्ती के लिए सीटेट को बाहर कर दिया गया है। हालांकि, केंद्रीय स्कूलों में यह अभी भी मान्य है।- पश्चिम बंगाल:
पश्चिम बंगाल में पश्चिम बंगाल शिक्षक पात्रता परीक्षा (डब्ल्यूबीटीईटी) को प्राथमिकता दी जाती है। राज्य सरकार ने अपनी भर्ती प्रक्रिया में डब्ल्यूबीटीईटी को अनिवार्य बनाया है, जिसके कारण सीटेट को राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षक पदों के लिए योग्यता के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता। यह कदम स्थानीय भाषा (बंगाली) और क्षेत्रीय शैक्षिक मानकों को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। - केरल:
केरल में शिक्षक भर्ती के लिए केरल शिक्षक पात्रता परीक्षा (के-टेट) को लागू किया गया है। राज्य सरकार ने अपनी नीति में स्पष्ट किया है कि राज्य के स्कूलों में शिक्षकों को मलयालम भाषा और स्थानीय पाठ्यक्रम की जानकारी होनी चाहिए। इस वजह से सीटेट को राज्य स्तरीय भर्ती से बाहर कर दिया गया है, हालांकि केंद्रीय संस्थानों में यह मान्य रहता है। - आंध्र प्रदेश और तेलंगाना:
इन दोनों राज्यों में आंध्र प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (एपीटीईटी) को अनिवार्य किया गया है। राज्य सरकारों ने अपनी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में एपीटीईटी को प्राथमिकता दी है, जिसके चलते सीटेट को राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षक पदों के लिए आवश्यक योग्यता से हटा दिया गया है। यह निर्णय तेलुगु भाषा और स्थानीय शैक्षिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर लिया गया। - उत्तराखंड:
उत्तराखंड में उत्तराखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूटीईटी) को राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए अनिवार्य बनाया गया है। राज्य सरकार ने स्थानीय स्तर पर शिक्षकों की तैयारी और क्षेत्रीय जरूरतों को प्राथमिकता देते हुए सीटेट को बाहर किया है।
क्या इसका मतलब सीटेट पूरी तरह अमान्य है?
यह समझना जरूरी है कि जिन राज्यों में सीटेट को प्राथमिकता से हटाया गया है, वहां यह पूरी तरह से अमान्य नहीं है। इन राज्यों में स्थित केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों, और अन्य केंद्रीय स्कूलों में सीटेट प्रमाणपत्र अभी भी पूर्ण रूप से मान्य है। इसके अलावा, कई निजी स्कूल भी सीटेट को योग्यता के रूप में स्वीकार करते हैं। इसलिए, "सीटेट हुआ बाहर" का मतलब केवल राज्य सरकार की भर्ती प्रक्रिया से इसकी अनिवार्यता का हटना है, न कि इसकी समग्र वैधता का अंत।
सीटेट को बाहर करने के कारण
राज्यों द्वारा सीटेट को प्राथमिकता से हटाने के पीछे कई कारण हैं:
- स्थानीय भाषा और संस्कृति: कई राज्य चाहते हैं कि उनके शिक्षक स्थानीय भाषा और संस्कृति से परिचित हों, जो राज्य टीईटी के माध्यम से बेहतर तरीके से सुनिश्चित होती है।
- शैक्षिक स्वायत्तता: शिक्षा एक समवर्ती विषय होने के कारण राज्य अपनी नीतियां स्वतंत्र रूप से बना सकते हैं।
- पाठ्यक्रम में अंतर: सीटेट राष्ट्रीय पाठ्यक्रम पर आधारित है, जबकि राज्य टीईटी स्थानीय पाठ्यक्रम को ध्यान में रखती है।
- प्रशासनिक सुविधा: राज्य सरकारें अपनी भर्ती प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए स्वयं की परीक्षा आयोजित करना पसंद करती हैं।
अन्य राज्यों की स्थिति
कई अन्य राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, और मध्य प्रदेश अभी भी सीटेट को वैकल्पिक रूप से स्वीकार करते हैं। इन राज्यों में राज्य टीईटी (जैसे यूपीटीईटी, बीटीईटी, आरईटेट) के साथ-साथ सीटेट को भी मान्यता दी जाती है। हालांकि, इन राज्यों में भी राज्य टीईटी को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन सीटेट को पूरी तरह से बाहर नहीं किया गया है।
निष्कर्ष
सीटेट को तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, और उत्तराखंड जैसे राज्यों में राज्य सरकार की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है। इन राज्यों ने अपनी स्वयं की टीईटी को अनिवार्य बनाया है ताकि स्थानीय जरूरतों और शैक्षिक मानकों को प्राथमिकता दी जा सके। फिर भी, सीटेट केंद्रीय स्कूलों और निजी संस्थानों में अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है। यदि आप किसी राज्य के सरकारी स्कूल में शिक्षक बनना चाहते हैं, तो उस राज्य की टीईटी की जानकारी लेना जरूरी है। वहीं, केंद्रीय स्कूलों या निजी क्षेत्र में करियर के लिए सीटेट अभी भी एक मजबूत विकल्प है।
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